Success story behind parle G biscuits 


सभी लोग सुबह उठ कर चाय - कॉफी पीते है , लेकिन इसके साथ बिस्किट खाना मानो तो छोटे से लेकर बड़े को पसंद है ।इंडिया में कही सारे कंपनी है जो बिस्किट का निर्माण करते है ,  parle कंपनी ने भी कुछ ऐसा ही प्रोडक्ट का निर्माण किया ,जिसे सारे दुनिया ने पसंद किया । आये जानते है parle कंपनी के parle G बिस्किट के बारे मैं थोड़ा विस्तार से .......

■ कंपनी का स्टार्टअप / स्थापना 


Success story behind parle G biscuits 


जब भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था 1929 मैं तब कई सारी कंपनीज ने मुम्बई छोटी जगह में स्टार्टअप किया । जिसमें पार्ले कंपनी भी शामिल थी । स्टार्टिंग में मेलोडी ,कच्चा mango जैसे प्रोडक्ट बनना चालू हुवे । इस कंपनी का नाम
उस जगह पर ही रखा गया , यानी जहां ये कंपनी की स्थापना हुई , वो जगह मुंबई के उपनगर में स्थित वीले पार्ले के नाम से पहचानी जाती थी । तो कम्पनी ने नाम भी पार्ले रख लिया ।
1939 में ग्लूकोस युक्त बिस्कुट बनाना कंपनी ने स्टार्ट किया था । जो कि आज हर घर में दिखता है । जैसे ही भारत को स्वतंत्रता मिली वैसे ही इस कंपनी ने विदन्यापन सुरु कर दिए । आज भी बिस्किट का पैकेट 5₹ में ही मिलता है , वैसे बोला जाए तो quantity कम आती है लेकिन quality आज भी बरकरार है । टैगलाइन " parle G ...G माने जीनियस " से सभी छोटे बचो का फ़ेवरेट बन चुका है । पार्ले G का नाम शुरू से parle ग्लूको था जो आगे 1980 में parle G हो गया


■ मिस्ट्री बिहाइंड कवर फ़ोटो ऑफ गर्ल 


Success story behind parle G biscuits



Parle के कवर पेज पर एक लडक़ी की फ़ोटो है जो कि आज भी देखी जाती है । उसका नाम नीरू देशपांडे है , जो कि 4 साल की थी तब उनके पापा ने खीची थी । कैसे तोभी वो फ़ोटो पार्ले के नजदिगी आदमी के पास पौची ...जिसकी पहचान थी कंपनी के लोगो के साथ । अभी वो 63 साल की है ।


■ कंपनी की success


Success story behind parle G biscuits 


अगर कोई भी आदमी quality का उपयोग करके कोई काम करता है तब उसको सफलता से कोई नही रोक सकता , इसी फंडे को पार्ले कंपनी ने अपनाया है जो कि आज उस कंपनी के success की निशानी दिखाता है ।


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